Tuesday, 15 March 2016

भारतीय संस्कृति में पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव

                                  


भारतीय संस्कृति में  पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
           पाश्चात्य संस्कृति ने भारतीय परंपरा को पूरी तरह प्रभावित किया है।  जिससे पुरानी परंपरा अब  बहुत  कम ही मिलती है।  पश्चिम के देशो की परंपरा , वेश - भूषा , खान - पान , रहन - सहन , रीति - रिवाज को भारतीय युवाओ को अपनी तरफ आकर्षित करती है  और   वे इसे बड़ी मात्रा में अपना भी रहे हैं।  इसका बहुत बड़ा कारण विकास की  तर्ज पर अपने आप को विश्व में एक नई पहचान बनाना है।जिसका प्रभाव सुबह से लेकर दिन की होने वाली विभिन्न क्रियाकलापों  में  देखने को मिलता है।  
         इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी भाषा विज्ञानं की प्रोफेसर डॉ मीरा दीक्षित का कहना है की हमारा समाज पश्चिम के देशो से इतना अधिक प्रभावित हो चुका है कि भारत की विश्व गुरु की गरिमा ओझल होती नजर  रही है।  जिसका बहुत बड़ा कारण पश्चिम के देशो  से आई सरल एवं आसान परम्परा जो बिना किसी रोक - टोक  के उसे प्रति क्रिया करने के लिए छूट देती है।  वहीँ इसके जस्ट विपरीत हैं भारतीय  परम्पराएं क्योकि इनमे किसी भी काम को करने के लिए कुछ हद तक सीमायें निर्धारित होती हैं इसी का प्रभाव युवा को अपनी तरफ आकर्षित कर  रहा है।  इस प्रकार से भारत की परम्पराएं  तरह से शहरो में तो ख़त्म हो गई है लेकिन इसके बावजूद गांव में भी अब पश्चिमीकरण अपना असर छोड़ रहा है क्योंकि यदि विकास  की डगर में ग्रामीणों को दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है तो उन्हें भी पुराने रीति - रिवाज को पीछे छोड़कर वर्तमान समयं पर चल रही एक्टिविटी के आधार पर चलना पड़ेगा तभी वे विकास करने में   सक्षम हो सकते हैं।  

                                                                                        अश्वनी पटेल 
                                                                      जर्नलिज्म एंड मास  कम्युनिकेशन

No comments:

Post a Comment