उत्तर - प्रदेश के बुन्देलखण्ड में किसानों के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार के वेड विफल होते दिखाई दे रहे है। आए - दिन किसी न किसी किसान की आत्महत्या की घटनाएं प्रसारित होती रहती हैं। सरकार ने किसानों के लिए सूखा राहत धनराशि तो दे दी लेकिन वह किसानो तक पहुंचने में नाकाम रही है। क्योकि उस धनराशि को सरकारी आफिसर्स डकार गए है। जिसकी खबर लेने वाला कोई नहीं है। परिणामस्वरूप महगाई , सूखा और ओलावृष्टि मर झेलते हुए किसानों को दो वक्त की रोटी के लिए भी सोचना पड़ रहा है। ऐसी परिस्थितियों में आखिर किसान वर्ग के लोग कैसे जीवन - यापन करें , अब तो उनके पास ईश्वर की कृपा के अलावा कोई दूसरा सहारा नहीं रह गया है। यदि इस वर्ष बारिश होती है तो उनकी स्थिति में सुधर की सम्भावना है नहीं तो फिर वाही मायूसी देखने को सकते हैं। सत्ते रहने के लिए वर्तमान सरकार बुनियादी वादे पर वादे करती चली जा रही है लेकिन उन पर अमल बहुत ही कम होता है। ऐसे में ये बेबस किसान वर्तमान की बुन्देलखण्ड की समस्याओं बीच अपना जीवन संघर्ष में जीने को मजबूर हैं। ऐसी परिस्थितियों में न सरकार का सपोर्ट है और न ही समाज का।
No comments:
Post a Comment