सूखा के चलते किसान व मजदूर कई वर्षों से परेशान हैं । जहां पर लोगों की आमदनी बहुत कम है , वहीँ खर्चे अधिक हैं । किसानों को कोई भी रास्ता सूझ रहा है । यह किसी एक किसान का हाल नहीं है , जब कि पूरे देश के किसानों की यही स्थिति है । ग्रामीण क्षेत्र में दो जून की रोटी के जुगाड़ किसान व मजदूर परिवार के लोगों को हाड़तोड़ मेहनत करनी पड़ती है । इसके बाद भी उनके घर में शाम को चूल्हा जले इसकी कोई गारंटी नहीं है । सरकारों को भी इस ओर सोचना होगा ।
बजट सत्र २०१६ - २०१७ में इस प्रकार का कोई स्पष्ट कदम सरकार ने किसान और मजदूर तबके लिए नहीं उठाया है । यूँ तो सरकार मॅहगाई को कम करने का दावा किया करती है , लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है । दाल , चावल ,चीनी व अन्य जरूरी खाद्य सामान की कीमतें आसमान छू रहीं हैं । जिससे आम इंसान की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही हैं । यूँ तो जब भी नई सरकारे बनती हैं तो लोग नई उम्मीद के साथ सपना देखने लगते हैं , कि सत्ते में आई सरकार महगाई कम करेगी पर अभी तक उनका पूरा नहीं हो सका है । लोगो ने मोदी सरकार को इसी उम्मीद को बनाए रखने के उददेश से बनाया था । लेकिन वह भी महगाई कम करने में सफल नहीं हो सकी उनके वादे विफल होते दिख रहे हैं ।
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