Wednesday, 6 April 2016

मजबूर हैं गन्दा अनाज खाने के लिए

                                               

      मजबूर हैं गन्दा अनाज खाने के लिए
 प्रदेश भर में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रत्येक परिवार में राशनकार्ड धारकों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराइ जा रही है।  लेकिन गेहूँ और चावल की गुणवत्ता बेहद ख़राब  है। मुख्यमंत्री अखिलेश  यादव ने यह योजना शुरू करते समय अधिकारियो को बुलाकर  गेहूं और चावल की गुणवत्ता कैसी है ? वे सभी अधिकारी आकर देख लें क्योकि उन्हें ही गरीबो तक पहुंचाना  है , ऐसा कानून लागू करने के समय कहा।  अधिकारियो ने स्वीकार   किया था कि हम अपने क्षेत्र में चल रही सरकारी रासन की दुकानों में अच्छी गुणवत्ता के गेहूं और चावल को  निर्धारित रियायती दाम पर उपलब्ध करायेंगें।  वहीँ मुख्यमंत्री और अधिकारियो के किये गए वादे झूठे साबित हो रहे हैं।  हल ही में बुंदेलखंड के बाँदा जनपद के कुरुहूँ एवं रसिन ग्राम पंचायतों की  सरकारी रासन की दुकानों में बहुत ही ख़राब गुणवत्ता वाले अनाज उपलब्ध कराये जा रहे हैं।  जिसमे गरीबों के खाने के लिए अनाज  साथ कंकड़ व् मिट्टी भी दी जा रही है।  जिसको  मजबूर असहाय किसानों को पेट भरने के लिए लेना पड़ता है।  इसकी शिकायत ग्रामीणों द्वारा आला अधिकारियो से की गई लेकिन उनके कान में ज़ू तक नहीं रेंगती है।   ग्रामीणों से बातचीत में उन्होंने बताया की यदि हम सरकारी रासन की दुकान की दुकान पर खराब माल न बांटने के  कहते है तो वह  बुरा कह कर अनाज देने से मना कर देता  है। ऐसी परिस्थितियों में उन गरीबो को इस प्रकार की समस्याओं से  जूझना पड़ रहा है।   सरकार को अपने स्तर से जाँच करवाना होगा  तभी गरीबो के लिए बनाया गया खाद्य सुरखा अधिनियम कानून सफल होगा और गरीबों को उनका अधिकार मिल पाएगा।  

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