जन सूचना अधिकार अधिनियम की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वांछित सूचना देने के बजाय गोलमोल व अधूरी सूचनायें देना विभाग की आदत में शामिल हो गया है । जिससे आवेदक को मजबूरन सूचना आयोग की शरण लेनी पड़ती है ।
मामला बाँदा जनपद के नरैनी ब्लाक के जन सूचना कार्यालय का है जिसमें कुरुहूँ ग्राम पंचायत अंश जरकढा के निवासी सुनील (काल्पनिक ) ने अपने ग्राम पंचायत में पिछले पांच वर्ष में गांव में होने वाले विकास के सम्बन्ध सूचना मांगी थी की गांव के विकास के लिए कब और किस कार्य के कितनी धनराशि सरकार द्वारा आवंटित की गई और उन्होंने कितना उपयोग कर अपने ग्राम पंचायत का विकास किया । लेकिन अधिकारियो ने गोलमोल सूचना देकर भ्रमित किया है । सूचना आयुक्त ने सूचना न देने पर २५० रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अधिकतम २५००० रुपए तक का आर्थिक दण्ड निर्धारित किया है ।
इसके बावजूद भी जन सूचना अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं । आम नागरिक के सूचना पाने के अधिकार का फिर क्या होगा । जब हमारे सूचना देने वाले अधिकारी ही भ्रष्ट हैं । ऐसे में नागरिक को शांत नहीं बैठना चाहिए बल्कि सूचना पाने का हर संभव प्रयास करना होगा । तभी हम अपनी जिम्मेदारी से भटक चुके समाज को एक नई दिशा दे पाएंगे ।
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